चुनावी भाषण देता है बार-बार, लगता है जुमलों का सरदार बोलता है, उसे और कुछ आता हो ना हो, वो झूठ बहुत शानदार बोलता है...

चुनावी भाषण देता है बार-बार, लगता है जुमलों का सरदार बोलता है, उसे और कुछ आता हो ना हो, वो झूठ बहुत शानदार बोलता है...

पटना : डा. रागिनी नायक, राष्ट्रीय प्रवक्ता, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, ने  पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रधान मंत्री बनने के बाद मोदी जी 53 वीं बार बिहार आ रहे हैं। गौरतलब है कि वे सिर्फ़ चुनावों में आते हैं, बेबुनियाद दावे, झूठे वादे, और बड़ी-बड़ी पर खोखली घोषणाएँ कर के निकल जाते हैं। बिहार भूला नहीं है 2015 के विधानसभा चुनाव में मोदी जी द्वारा ‘आरा’ की रैली में सुनाया गया सबसे बड़ा जुमला - सवा लाख करोड़ के पैकेज की चुनावी घोषणा। अंदाज़ भी नहीं न भूले हैं - कैसे बोली लगा रहे थे मोदी जी - 60,000 करोड़ करूँ की ज्यादा करूँ, 70,000 करो़ करूँ की ज्यादा करूँ। ज्यादा-कम तो छोड़िये सवा लाख करोड़ में से नेग का सवा रुपया भी बिहार के खाते में नहीं आया जैसे 15 लाख किसी भी देशवासी के खाते में नहीं आया।

ये केतली और चाय का कप देख कर आप के मन प्रश्न तो उठ रहे होंगे। तो जवाब मैं देती हूँ। वो क्या है ना कि मोदी जी को चाय पर चर्चा करने का बड़ा शौक है। तो अब जब मोदी जी फिर से मोतिहारी आ रहे हैं तो चाय पर चर्चा और चाय में मिठास घोलने वाली चीनी पर बिहार की जनता के ‘मन की बात’ मोदी जी तक पहुँचाना बहुत ज़रूरी है। यही कारण है कि हम मोदी जी के लिए चाय तो लाए हैं पर वो फीकी है। इसलिए फीकी है क्योंकि 2014 में जब मोदी जी चुनावी दौरे पर मोतिहारी आए थे, तब उन्होंने कहा था कि मैं अगली बार मोतिहारी तभी आऊं गा, जब यहाँ की ‘शुगर मिल’ चालू होगी और मैं उस चीनी की मीठी चाय पियूँगा। आज मोतिहारी ने, बिहार ने, हमने प्रधान मंत्री जी के लिए चाय तैयार की है पर वो मोदी जी के वादों की तरह फीकी है।

मोतिहारी की बंद पड़ी शुगर मिल इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि -

                      मोदी रीति सदा चली आयी,

                    जो कह जाएँ वो कभी ना निभाई

मोदी जी ने तो 11 साल में एक भी प्रेसवार्ता की नहीं, पत्रकारों के सवाल कभी लिए नहीं पर जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते कांग्रेस मोदी जी के आगमन से पहले 5 सवाल ज़रूर पूछना चाहती है, जिनका तथ्यों पर आधारित जवाब मोदी जी को अपने भाषण में देना चाहिए।

1) पहला सबसे महत्वपूर्ण और सबसे ज्वलंत सवाल - मोदी जी आप बिहार में ‘वोट की चोरी’ क्यों कर रहे हैं, ‘चुनाव की चोरी’ क्यों कर रहे हैं ? बिहार के नागरिकों से उनका मताधिकार छीनने का षड़यंत्र क्यों रच रहे हैं ? Special Intensive Revision (SIR) के नाम पर ये गोरखधंधा, ये धांधली, दिन-दहाड़े लोकतंत्र की लूट आपको ज़रा सा भी शर्मसार नहीं करती है, मोदी जी ? ये तो हम जानते थे कि जैसे-जैसे बिहार के चुनाव का वक्त करीब आ रहा है, वैसे-वैसे भाजपा ‘ठगबंधन’ का सिंहासन बिहार में डोलता जा रहा है, पर आप तो स्वयं इस कदर घबराए हुए हैं कि आपने EC को ‘Election Commission’ रहने ही नहीं दिया बल्कि इसे ‘ Election Chori’ शाखा में तब्दील कर दिया है, जैसा कि देश के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जी ने आज ट्वीट कर के कहा।

बिहार में SIR के नाम पर क्या फर्जीवाड़ा चल रहा है, इस पर हम आपको स्वतंत्र पत्रकार ‘अजीत अंजुम’ जी द्वारा फुलवारी शरीफ़ पटना में रिकार्ड किया ये वीडियो दिखाते हैं, फिर आगे बात करेंगे !

शायद ऐसे ही पत्रकारों के लिए ये कहा गया होगा कि - 

     खेंचो न कमानों को, न तलवार निकालो

     गर तोप मुख़ातिब हो, तो अखबार निकालो

पहले ज़माने में ‘Booth Capturing’ होती थी, आज, भाजपा ठगबंधन के राज में सरे आम ‘Voter List Capturing’ हो रही है। जनता के विश्वास के साथ ठगी हो रही है, लोकतंत्र पर आघात हो रहा है !

BLO ही मतदाताओं के फॉर्म भर रहे हैं। BLO ही वोटर लिस्ट सामने रख कर, मतदाता के बदले हस्ताक्षर कर रहे हैं SIR का पर्दाफाश करने वाले पर तो FIR कर दी, अब इस वीडियो के बाद चुनाव आयोग किस-किस पर FIR करेगा देखना है ! जवाब देगा चुनाव आयोग या फिर FIR करेगा?

और से केवल एक जगह की बात नहीं है, पूरे बिहार में ऐसी वारदातें हो रही हैं। अभी कल की बात है जब ‘दरभंगा’ में भाजपा महिला अध्यक्ष BLO के साथ बैठकर वोटरों की जॉंच-पड़ताल कर रही हैं। ‘भाजपायी वोटरों’ को लिस्ट में जगह दी जा रही है और भाजपा विरोधी मतदाताओं को चिन्हित कर उनकी छंटाई की जा रही है।

ये भाजपायी समझते हैं कि ये बिहार में कुछ भी कर जाऐंगे और जनता, विपक्ष चुप रहेगा। इन्हें दिल्ली की सत्ता का बहुत घमंड है, सोचते हैं बिहार भी दिल्ली से चलाऐंगे। इन्हें लगता है -

               लश्कर भी हमारा है, सरदार हमारा 

              हम झूठ को सच लिख दें, अखबार हमारा

              इस दौर के फरियादी, जाएं को कहां जाएं

                   कानून हमारा है, दरबार हमारा

इस निर्लज्जता को, इस घमंड को, इस अहंकार को तोड़ना ज़रूरी है। इस बार बिहार की जनता माफ़ नही करेगी !

- क्या यह सच नहीं है कि 2021-22 में आधार कार्ड को रिप्रज़ेन्टेशन ऑफ़ पीपुल्स एक्ट के अनुच्छेद 23 (4) में मोदी सरकार ने ही मतदाता परिचय पत्र के लिए मान्य पहचान पत्र माना था। फिर रातों रात आधार ‘निराधार’ कैसे हो गया?

- क्या आप बिहार के उन 3 करोड़ मजदूरों का, जो मजबूरी में दूसरे राज्यों में मजदूरी करने गए हैं और जो केंद्र के ई-श्रम पोटर्ल पर रिजस्टर्ड हैं, नाम मतदाता सूची से कटाना चाहते हैं ?

- 11 साल में आप अपनी डिग्री तो नहीं दिखा पाए मोदी जी, बिहार की जनता से बिहारी होने का काग़ज़ मांग रहे हैं। बहुत नाइंसाफ़ी है !

2) दूसरा सवाल - जो क्षेत्र एक समय पर ज्ञान का केन्द्र माना जाता था वो आज अपराध का केन्द्र बन गया है। ‘गुंडाराज’, ‘जंगलराज’, ‘रावणराज’ कहना अब कोई अतिश्योक्ति नहीं है, ये बिहार की सच्चाई है। आज ही पटना मे ंपारस अस्पताल के ICU में दिन-दहाड़े हत्या कर दी गयी । और अगर ऐसा नहीं है तो मोदी जी, हम तो पूछेंगे कि आप जब बिहार आते हैं तो अपनी सफ़ाई में राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो की रिपोर्ट्स क्यों नहीं लाते ? बिहार में आम आदमी का जीवन खौफ़ के साए में गुज़र रहा है। घर के भीतर डर, तो खुले मोहल्ले में भी डर, सूनी गलियों में डर तो भीड़ में फंसने का डर, रात के अँधियारे में डर तो सुबह-सवेरे सरे आम भी डर । और इसकी पुष्टि ये आंकड़े करते हैं जो मैं आपको बताने वाली हूँ।

- 2005 में जहाँ कुल बिहार में अपराधों की संख्या 1,07,664 थी, वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 3,47,835 हो गई — यानी अपराधों में चौंका देने वाली 323% की वृद्धि हुई।

- हत्या के मामलों में बिहार को, उत्तर प्रदेश के बाद देश में दूसरा स्थान प्राप्त है। नीतिश शासन के 17 वर्षों में 53,150 हत्याएं दर्ज की गईं हैं।

- हत्या के प्रयास के मामलों (Attempt to murder) में भी बिहार देश में दूसरे नंबर पर है। नीतिश सरकार में कुल 98,169 घटनाएं हुईं, जो 262% की वृद्धि दशार्ती हैं।

- बिहार में जघन्य अपराध — जैसे हत्या, बलात्कार, अपहरण, फिरौती, डकैती — 206% बढ़े। 17 वर्षों में ऐसे 5,59,413 मामले दर्ज किए गए।

- महिलाओं के खिलाफ़ अपराधों में 336% की बढ़ोतरी हुई है। कुल 2,21,729 मिहलाएं अपराधों का शिकार बनीं। इनमें से 1,17,947 मामले आज भी अदालतों में लंबित हैं और लंबित मामलों की दर 98.2% है।

- महिलाओं के अपहरण में 1,097% की भयावह वृद्धि हुई है।

- बच्चों के विरुद्ध अपराधों में 7,062% की चौंकाने वाली वृद्धि दर्ज हुई है। कुल 62,830 मासूम इस दौर में अपराध के शिकार बने।

- दलित उत्पीड़न के मामले में भी बिहार उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नम्बर पर है।

बालू के कारोबारी रमाकांत यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई, इससे पहले उनके भाई की हत्या हुई थी

⦁मगध अस्पताल के मालिक व बड़े बिजनेसमैन गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई, इससे पहले उनके बेटे की हत्या हुई थी

⦁कारोबारी अंजनी सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई

⦁कारोबारी जरी अहमद की हत्या कर दी गई

⦁किराना व्यापारी विनय गुप्ता की हत्या कर दी गई

⦁कारोबारी रमेश चंद्रा की हत्या कर दी गई

⦁नामी ज्वैलर संजय अग्रवाल को गोलियों से भून दिया गया

⦁सुरभि अस्पताल की संचालिका की उनके चैंबर में हत्या कर दी गई

⦁कपड़ा कारोबारी विनोद मेहता की हत्या कर दी गई

पटना में ADG लॉ एंड ऑर्डर के सामने बदमाशों ने 8 राउड फायरिंग की, लेकिन बिहार सरकार ने एक शब्द नहीं बोला

विस्तृत जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के साख संलग्न है ।

3) तीसरा सवाल - सुनने में आ रहा है कि है नेशनल हाईवे के कुछ प्रोजेक्ट्स का भूमि पूजन प्रधानमंत्री करने वाले हैं। तो उनसे पहला सवाल यह है कि पूर्व में घोषित प्रोजेक्ट्स की ऐसी दुर्दशा क्यों है ? पुरानी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में निल बटा सन्नाटा है तो की नई घोषणाएँ कर के क्या करामात करेंगे भला ???

बिहार की राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की भौतिक प्रगित 40% या उससे कम ह। यानि की बिहार के किसी भी नैशनल हाईवे प्रोजेक्ट में 40% से ज्यादा काम नहीं हुआ है। कुछ में तो शुरु ही नहीं हुआ है - ज़ीरो, सिफ़र, शून्य, जैसा पिछले चुनाव में दरभंगा का AIIMS बना था, बिल्कुल वैसा ही शून्य। कुछ मैं आपको पढ़ कर सुनाती हूँ बाकी बिहार में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगित का सच संलग्नक 1 में देखें, हम प्रेस विज्ञप्ति के साथ आपको देंगे ।

तो देखिए, मोदी जी घोषणाएँ करते हैं, पर उन्हें ज़मीन पर नहीं उतारते। केवल ज़ुबानी जमा-खर्च करते हैं क्योंकि मुँह चलाने का टैक्स थोड़े लगता है और वैसे भी GST के बाद जीने से मरने तक सारा टैक्स जनता को ही देना है। बहरहाल, लगे हाथों ये भी पूछ लेती हूँ कि मोदी जी बताइए, प्रधान मंत्री आवास योजना बिहार के लिए सौगात या विश्वासघात ? जेडीयू-भाजपा ठगबंधन सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर गरीबों के साथ कैसा खिलवाड़ किया है ये इसी बात से पता चल जाता है कि बिहार को प्रति आवास मात्र ₹1,20,000 दिया जाता है, जिसमें से 60% केंद्र का हिस्सा होता है और 40% राज्य का। अथार्त केंद्र मात्र 70-72 हजार रुपये देता है। मोदी जी के नाम बड़े और दर्शन कितने छोटे हैं। 

पार्लियामेंट्री कमेटी ने केन्द्र सरकार को सिफ़ारिश की कि इतनी मंहगाई में घर बनाना संभव नहीं है। जब कमेटी ने सरकार से पूछा कि प्रति यूनिट असिसटेंस बढ़ाने पर आपने क्या किया, तो सरकार ने जवाब दिया कि केंद्रीय केबिनेट ने 09-08-2024 को प्रधान मंत्री आवास ग्रामीण योजना को पाँच सालों के लिए बढ़ा दिया मगर उसमें प्रावधान 1,20,000 रुपये ही रखा ह। सच्चाई ये है कि बिहार में तो पीएम आवास के लिए 20 से 30 हजार रुपये रिश्वत देनी पड़ती है। प्रधान मंत्री जी अपने भाषण में ज़रूर बताएँ कि गरीबों के आवास के लिए आप पर्याप्त पैसा क्यों नहीं देते ? अपने लिए 10 लाख का सूट, 1.5 लाख का चश्मा, 12 करोड़ की कार और 8,000 करोड़ का प्लेन और गरीबों के लिए ???

4) अब अगले दो सवाल - भाजपा-जेडीयू सरकार ने शिक्षकों को लॉटरी के जाल में क्यों फंसाया और छात्रों का भविष्य पेपर लीक से क्यों बेच खाया ?

प्रधान मंत्री जी आपकी भाजपा-जेडीयू ठगबंधन सरकार ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था को इस हद तक बबार्द कर दिया है कि अब छात्रों का भविष्य पेपर लीक और शिक्षकों का भविष्य दोनों का भिवष्य लॉटरी की पर्चियों की भेंट चढ़ गया है।

एक तीन सदस्यीय सिमित — कुलपति, रिजस्ट्रार और राज्यपाल के प्रितिनिध — कॉलेजों के नाम की पर्चियां निकाल कर प्राचार्यों की नियुक्तियां कर रहे हैं।

 शिक्षकों की भर्ती कैसे लॉटरी का खेल बन गयी है इसका प्रमाण पटना साइंस कॉलेज से मिलता है। ये शैक्षणिक संस्थान पूर्व का कैम्ब्रिज कहा जाता था। यहाँ से निकले छात्र आईआईटी, इसरो, बीएआरसी, डीआरडीओ, यूपीएससी और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में अपनी प्रितभा का लोहा मनवा चुके ह।ये कॉलेज बिहार की प्रतिभा का केन्द्र रहा है — विशेषकर मध्यम वर्ग और ग्रामीण पृष्ठभूमि से आए छात्रों के लिए। लेकिन आज सूरत-ए-हाल यह है कि 2-3 जुलाई 2025 को प्राचार्य की नियुक्ति लॉटरी सिस्टम से की गई। अलका जी गृह विज्ञान क्षेत्र से हैं और हाजीपुर महिला कॉलेज में पढ़ाती थीं उन्हें लॉटरी सिस्टम द्वारा, विज्ञान की पृष्ठभूमि न होने के बावजूद साइंस कॉलेज का प्राचार्य बना दिया गया ।

       

यही नहीं, पटना विश्वविद्यालय के पाँच प्रितिष्ठत कॉलेजों में भाजपा-जेडीयू ठगबंधन सरकार ने जो ये विकृत प्रक्रिया लागू की है उससे योग्यता, अनुभव और विषय की विशेषज्ञता योग्यता को धत्ता बताते हुए एक पर्ची के सहारे प्राचार्य पद की बंदर बांट जारी है। मैं कुछ उदाहरण भी देती हूँ -

- सुहर्ली मेहता होमसाइंस कॉलेज की प्रोफेसर थीं और मगध महिला कॉलेज की अगली प्राचार्या मानी जा रही थीं लेकिन उन्हें लॉटरी से वाणिज्य महाविद्यालय भेज दिया गया- एक ऐसे विषय के कॉलेज में जिसमें उनका कोई एक्सपर्टीज़ नहीं है।

- महिला कॉलेज में पुरुष प्राचार्य की नियुक्ति कर दी। नागेंद्र प्रसाद वर्मा इतिहास के प्रोफेसर थे और उन्हें एक महिला कॉलेज का प्राचार्य बना दिया गया। इस कॉलेज के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ।

- 1863 में स्थापित इस ऐतिहासिक कॉलेज में जो सामाजिक विज्ञान और मानिवकी का केन्द्र रहा है, वहाँ एक रासायनिक शास्त्र के प्रोफेसर अनिल कुमार जी को प्राचार्य बना दिया गया ।

- योगेंद्र कुमार वर्मा को भी लॉटरी के माध्यम से लॉ कॉलेज भेजा गया, जबकि उनकी विशेषता भी विषय से मेल नहीं खाती।

ये सब मीडिया के सामने लाना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि बिहार के 13 विश्वविद्यालयों में 115 प्राचार्यों की नियुक्तियां होनी हैं। ये प्रयोग पटना विश्वविद्यालय में शुरू हुआ और अब पूरे राज्य में इसे लागू किया जा रहा है।

पर मोदी जी किस मुँह से जवाब देंगे ? वो तो आजकल खुद ही अक्कड़, बक्कड़ बम्बे बो कर के मुख्यमंत्री चुन रहे हैं। जिस पर उनकी उंगली रुक जाती है, उसकी किस्मत चमक जाती है।

5) पांचवा सवाल - पेपक लीक के माध्यम से मोदी जी आपकी ठगबंधन सरकार ने बिहार के युवाओं का भविष्य क्यों बेच डाला ? बिहार में भाजपा-जेडीयू की सत्ता की सरपरस्ती में सरकारी भर्तियों में पेपर लीक और घोटालों का भयंकर गोरख धंधा चल रहा ह।पिछले 7 वर्षों में प्रदेश में 10 से अधिक परीक्षा पेपर लीक के मामले सामने आ चुके हैं। बिहार के दूर-दराज गॉंव से, कस्बों से गरीब माता-पिता अपना पेट काटकर, अपनी सुख-सुविधाओं-महत्वकांक्षाओं को त्यागकर बच्चों का पढ़ने के लिए शहर भेजते हैं, साल-दर-साल कोचिंग कराते हैं, तैयारी कराते हैं। और फिर बड़े-बड़े इम्तहानों के पेपर लीक हो जाते हैं। तैयारी कर रहे नौजवानों और उनके परिवार का सुनहरा सपना जब चकनाचूर होता है तो उसकी चुभन, उसकी टीस कैसी होती है- ये जानने के लिए 56” का सीना नहीं, लोगों के लिए धड़कता हुआ एक दिल चाहिए, जो मोदी जी के पास नहीं है। 

पिछले कुछ सालों में सामने आए प्रमुख पेपर लीक घोटालों की विस्तृत जानकारी भी प्रेस विज्ञप्ति में साझा की है।

- 2017: सिपाही भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक हो गया जिसके कारण परीक्षा को रद्द करना पड़ा। इस मामले में 21 एफआईआर दर्ज की गईं। मगर जांच अभी भी जारी है। आपके Justice delayed is Justice denied तो सुना ही होगा पर यहॉं बिहार में उसके कोई मायने नहीं हैं।

- 2019 और 2021: पुलिस भर्ती परीक्षा में ही सेंध लग गयी और बिहार पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर लीक हुए ।

- 2021-22: उत्पाद विभाग की परीक्षा का पर्चा लीक हो गया। ईओयू द्वारा

जांच जारी है । 

- 2022: BPSC 67वीं प्रारंभिक परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक हो गया। इस मामले में 21 FIR दर्ज की गयीं मगर हुआ कुछ नहीं। जॉंच अभी जारी है।

- 2023: फरवरी 2023 में सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो गया, जिसके चलते परीक्षा रद्द करनी पड़ी। ईओयू द्वारा BPSC के केंद्राधीक्षक को गिरफ़्तार किया गया।

- 2023: अमीन भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र सोशल मीडिया के जिरए वायरल हो गया था। इस मामले में पटना समेत कई जिलों में FIR दर्ज की गईं।

 2023: देशभर में बहपचर्चित NEET परीक्षा का पेपर भी लीक हो गया। पटना से पेपर आउट होने की पुष्टि हुई। यह मामला पूरे देश में सुर्खियों में रहा।

- 2024: BPSC शक्षक भर्ती परीक्षा में पेपर लीक की पुष्टि हुई ।

- 2024: राज्य स्वास्थ्य सिमित की CHO भर्ती परीक्षा में भी प्रश्न पत्र

परीक्षा से पहले ही व्हाट्सऐप के जरिए लीक हो गया।

कभी-कभी तो ऐसी लगता है कि मोदी जी खुद पढ़-लिख कर पास नहीं हो पाए तो ठान लिए हैं कि जहॉं-जहॉं सरकार बनाऐंगे, वहॉं भी किसी को पढ़ने-लिखने और पास नहीं होने देंगे।

संवाददाता सम्मेलन में नेशनल मीडिया पैनलिस्ट प्रेमचंद्र मिश्रा, मीडिया चेयरमैन राजेश राठौड़, सोशल मीडिया के चेयरमैन सौरभ सिन्हा, असित नाथ तिवारी मौजूद थे।