वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी बने विकलांग महिला के लिए 'देवदूत', दी मदद और दिया साथ निभाने का भरोसा

पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) की विकलांग महिला फूलमती निषाद की मदद के लिए विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी खुद उसके घर पहुंचे। फूलमती ने मीडिया के ज़रिए अपनी पीड़ा साझा की थी, जिसे देखकर मुकेश सहनी भावुक हो गए और सहायता देने का फैसला किया। मुकेश सहनी ने न केवल आर्थिक मदद दी बल्कि भविष्य में भी हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि उनकी मानवीय जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि वीआईपी पार्टी समाज के कमजोर और दबे-कुचले वर्ग के लोगों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है।

वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी बने विकलांग महिला के लिए 'देवदूत', दी मदद और दिया साथ निभाने का भरोसा

पटना, 14 मई – पूर्वी चंपारण के मोतिहारी की रहने वाली एक विकलांग महिला फूलमती निषाद की ज़िंदगी उस वक्त बदल गई जब उसकी दुखभरी कहानी मीडिया के ज़रिए सामने आई। फूलमती ने अपने संघर्ष और तकलीफों को कैमरे के सामने साझा किया, जिसे देखने के बाद विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी खुद को रोक नहीं पाए और तुरंत मोतिहारी पहुंच गए।

फूलमती की कहानी ने मुकेश सहनी का दिल छू लिया। उन्होंने न सिर्फ फूलमती से मुलाकात की बल्कि उसे हर संभव मदद देने का भरोसा भी दिया। उन्होंने कहा कि यह कोई औपचारिक घोषणा नहीं है, बल्कि यह मेरी मानवीय जिम्मेदारी है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वह फूलमती और उसके परिवार को आगे भी हर ज़रूरी सहायता उपलब्ध कराएंगे।

मुकेश सहनी ने कहा, "मैं खुद उसके घर पहुंचा और उसके हालात को करीब से देखा। यह देखकर दुख हुआ कि आज भी ऐसे लोग सरकारी मदद से वंचित हैं। हम चाहते हैं कि ऐसे लोगों की तकलीफें दूर हों और उनके चेहरे पर मुस्कान लौटे।"

उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि उनकी पार्टी वीआईपी हमेशा समाज के दबे-कुचले और कमजोर वर्ग के लोगों की मदद के लिए तत्पर रहती है। उन्होंने कहा, "हमारे दरवाजे समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े हर व्यक्ति के लिए खुले हैं। हमारी प्राथमिकता है कि ऐसे जरूरतमंद लोगों तक सहायता पहुंचे।"

फूलमती ने मुकेश सहनी को भाई कहकर पुकारा, और उन्होंने भाई की तरह उसकी मदद के लिए पहुंचकर यह साबित कर दिया कि इंसानियत अभी जिंदा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक फूलमती को कोई सरकारी सहायता नहीं मिली। उन्होंने पूरे बिहार में इस तरह की समस्याओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि यही कारण है कि हम समाज में बदलाव की लड़ाई लड़ रहे हैं।

मुकेश सहनी ने मीडिया की भूमिका की भी सराहना की और कहा कि मीडिया के माध्यम से ही उन्हें फूलमती की जानकारी मिली और वे मदद के लिए पहुंच सके। उन्होंने अन्य राजनीतिक दलों और नेताओं से भी अपील की कि वे भी ऐसे जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए आगे आएं।

अंत में, मुकेश सहनी ने कहा कि समाज में जागरूकता आने पर ही असली बदलाव संभव है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि उनकी पार्टी भविष्य में भी जरूरतमंदों की मदद करती रहेगी और यह सिलसिला रुकने वाला नहीं है।

यह कहानी न केवल एक राजनीतिक नेता की संवेदनशीलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि जब कोई नेता दिल से लोगों की मदद करना चाहे तो बदलाव मुमकिन है। फूलमती के लिए मुकेश सहनी वाकई में एक 'देवदूत' बनकर आए, जिन्होंने न केवल मदद की, बल्कि उसके जीवन में उम्मीद की एक नई किरण भी जगाई।