बिहार चुनाव 2025: युवाओं पर टिकी राजनीति की नज़र

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें अभी घोषित नहीं हुई हैं, लेकिन सभी पार्टियां अपनी तैयारी में जुट चुकी हैं। इस बार का चुनाव पूरी तरह से युवाओं के मुद्दों और उनके समर्थन पर टिका नजर आ रहा है। किस पार्टी का एजेंडा युवा दिलों को जीत पाएगा, ये आने वाला समय बताएगा।

बिहार चुनाव 2025: युवाओं पर टिकी राजनीति की नज़र
बिहार चुनाव 2025: युवाओं पर टिकी राजनीति की नज़र

बिहार चुनाव 2025: युवाओं पर टिकी राजनीति की नज़र


देश का सबसे युवा राज्य बिहार अब विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है। अनुमान है कि अक्टूबर-नवंबर 2025 में चुनाव होंगे, और सभी राजनीतिक दल इसकी तैयारी में जुट चुके हैं। इस बार सभी पार्टियों की नजर युवाओं पर है, क्योंकि राज्य की आधे से ज्यादा आबादी 25 साल से कम उम्र के नौजवानों की है।

क्यों अहम हैं युवा वोटर?
2023 की जातिगत जनगणना के अनुसार, बिहार की कुल आबादी करीब 13 करोड़ है। इसमें से लगभग 58% लोग 25 साल से कम उम्र के हैं। यानी, एक बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता हैं जो पहली बार वोट देंगे या हाल ही में वोटिंग के पात्र बने हैं। यही वजह है कि हर पार्टी इन्हें लुभाने की कोशिश में लगी है।

इतिहास भी रहा है युवा आंदोलन का गवाह
बिहार हमेशा से देश की राजनीति को दिशा देता आया है। महात्मा गांधी का चंपारण सत्याग्रह और जेपी आंदोलन इसकी मिसाल हैं। अब एक बार फिर युवा वर्ग बिहार की राजनीति का केंद्र बिंदु बन गया है।

हर पार्टी का फोकस युवा मतदाता पर
चाहे एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) हो, महागठबंधन हो या पहली बार चुनाव लड़ने वाले नए दल जैसे जनसुराज, हिंद सेना और इंडियन इनक़लाब पार्टी – सभी युवा मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटे हैं।

राजनीतिक पार्टियों को भी लगता है कि जातिगत राजनीति से आगे बढ़कर युवाओं को जोड़ने से नई सोच और ताकत मिल सकती है।

युवा मुद्दों की बात – शिक्षा, रोजगार और पलायन
बिहार के युवाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या है – शिक्षा और रोजगार की कमी। इसके चलते हर साल लगभग 50 लाख युवा बिहार से बाहर पढ़ाई और नौकरी के लिए पलायन करते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, आज भी करीब 3 करोड़ लोग बिहार से बाहर दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं। यही कारण है कि पलायन अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है।

पार्टियों की रणनीति क्या है?
बीजेपी (NDA की मुख्य पार्टी):
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को युवाओं में लोकप्रिय माना जाता है। बीजेपी ने कई नए चेहरों को आगे लाकर "युवा नेतृत्व" को बढ़ावा दिया है। सम्राट चौधरी जैसे नेता इसकी मिसाल हैं।

जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड):
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सात निश्चय योजना के तहत अब तक 9.38 लाख से ज्यादा नौकरियां देने का दावा कर रहे हैं। चुनाव तक यह आंकड़ा 12 लाख पार करने की बात कही जा रही है। कुल मिलाकर 50 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा है।

चिराग पासवान भी युवाओं को एनडीए के पक्ष में लाने के लिए सक्रिय हैं।

महागठबंधन (आरजेडी के नेतृत्व में):
पिछली बार आरजेडी ने 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। तेजस्वी यादव द्वारा किए गए 10 लाख सरकारी नौकरियों के वादे को काफी समर्थन मिला था।
2024 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन ने 9 सीटें जीतीं, जिसमें युवाओं के बीच तेजस्वी की लोकप्रियता को एक बड़ी वजह माना जा रहा है।