बिहार ने खेलों में रचा नया इतिहास, बना नई पहचान
बिहार ने यह साबित कर दिया है कि इच्छाशक्ति, सही योजना और मेहनत से किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ा जा सकता है। खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 की सफलता ने बिहार को खेल जगत में एक नई पहचान दी है। यह सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि बिहार के युवाओं के सपनों की उड़ान है।
patna: खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 का सातवां संस्करण बिहार में बेहद शानदार तरीके से संपन्न हुआ। यह आयोजन 4 मई से शुरू होकर 15 मई तक चला और इसका समापन पटना के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में भव्य कार्यक्रम के साथ हुआ।
इस खेल महाकुंभ में बिहार के खिलाड़ियों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया और पहली बार देशभर में अपनी खेल प्रतिभा से सबका ध्यान खींचा। आयोजन के दौरान बिहार ने एक बेहतर मेज़बान के रूप में भी अपनी छवि को मजबूत किया।
उपमुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री भी रहे मौजूद
समापन समारोह में बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, केंद्रीय खेल राज्यमंत्री रक्षा निखिल खडसे, बिहार सरकार के कई मंत्री, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक सहित कई बड़े अधिकारी शामिल हुए। उपमुख्यमंत्री ने बिहार के युवाओं की मेहनत और जुनून की सराहना की और बताया कि बिहार 2030 में राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी की तैयारी कर रहा है।
खिलाड़ियों ने किया ऐतिहासिक प्रदर्शन
इस बार बिहार ने कुल 36 पदक (7 गोल्ड, 11 सिल्वर, 18 ब्रॉन्ज) जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर 14वां स्थान हासिल किया। पिछले साल के सिर्फ 5 पदकों के मुकाबले यह 620% की प्रगति है। यह दर्शाता है कि बिहार अब सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि खेलों की नई प्रयोगशाला बन रहा है।
गांवों से निकलीं चमकती कहानियां
इन पदकों के पीछे कई ऐसे बच्चों की कहानियां छिपी हैं, जिन्होंने कठिन हालात के बावजूद कभी हार नहीं मानी। कम संसाधनों में भी उन्होंने कड़ी मेहनत की और आज वे राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का नाम रोशन कर रहे हैं।
सरकार की योजनाओं का असर
खेलों में यह सफलता बिहार सरकार की योजनाओं और बेहतर सुविधाओं का नतीजा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खेलों को बढ़ावा देने के लिए अलग खेल विभाग बनाया और "मेडल लाओ, नौकरी पाओ" जैसी योजनाएं शुरू कीं। इसके साथ ही पूरे राज्य में स्टेडियम, खेल परिसर, प्रशिक्षण सुविधाएं और मैदान बनाए गए।
शानदार मेज़बानी ने जीता दिल
बिहार ने इस आयोजन में भाग लेने आए देश के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 10 हजार से ज्यादा खिलाड़ियों और अधिकारियों की शानदार मेजबानी की। सभी के लिए खाना, रहना, यात्रा और सुरक्षा की अच्छी व्यवस्था की गई थी। खास बात ये रही कि यह सब बिहार ने खुद अपने दम पर किया, बिना किसी बाहरी एजेंसी की मदद के।
राज्य भर में हुआ आयोजन
खेलो इंडिया यूथ गेम्स का आयोजन पटना, गया, राजगीर, भागलपुर और बेगूसराय जैसे शहरों में हुआ। सभी स्थानों पर इंडोर और आउटडोर खेलों के लिए आधुनिक सुविधाएं, एसी कोर्ट, जर्मन हैंगर, और स्विमिंग पूल जैसी व्यवस्थाएं की गईं। गर्मी से बचाने के लिए खास इंतजाम किए गए थे।
खेलों की दिशा में बड़ा बदलाव
बिहार सरकार की नीतियों और योजनाओं के कारण खेलों की दिशा में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। खिलाड़ियों को अब न सिर्फ ट्रेनिंग, बल्कि प्रतियोगिताओं में भाग लेने, नौकरी पाने और आगे बढ़ने के मौके मिल रहे हैं। इससे युवाओं में खेल के प्रति उत्साह और आत्मविश्वास बढ़ा है।
नतीजा - खेलों में नई पहचान
इस बार के आयोजन से साफ हो गया है कि बिहार अब सिर्फ शिक्षा और संस्कृति के लिए ही नहीं, बल्कि खेलों के लिए भी जाना जाएगा। पहले जहां बिहार को बीमारू राज्य माना जाता था, अब वही राज्य खेलों के राष्ट्रीय नक्शे पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा चुका है।