तुम मुझे दो दिन दो, मैं तुम्हारा आरक्षण वापस लाकर दूंगा ip gupta
पान समाज के अधिकार की लड़ाई

[1:06 PM, 6/6/2025] Mukesh Bhiya 2: पान समाज, जो बिहार की संस्कृति और समाज का अभिन्न अंग है, आज अपने अस्तित्व और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है। सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण को पहले स्वीकार किया गया और फिर छीन लिया गया, जिससे 80 लाख पान/तांती समाज के लोग ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। यह समुदाय आज भी भेदभाव और सामाजिक असमानता का सामना कर रहा है, लेकिन सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
80 लाख की जनसंख्या में से 60 लाख मतदाता हैं, जो बिहार की 150 विधानसभाओं में जीत और हार का निर्धारण कर सकते हैं। इसके बावजूद, कोई भी राजनीतिक दल इस समाज के लोगों को विधानसभा या लोकसभा चुनावों में उचित प्रतिनिधित्व नहीं देता। इस उपेक्षा और अन्याय के खिलाफ 'हांको रथ हम पान हैं' आंदोलन ने जन्म लिया है। हमारा संकल्प है – न्याय और अधिकार की बहाली।
आंदोलन का विस्तार और संकल्प
‘हांको रथ हम पान हैं, हम बिहार की जान हैं’— इस बुलंद नारे के साथ हमने 6 अक्टूबर 2024 को पश्चिम चंपारण के भितिहरवा से आंदोलन की शुरुआत की। इसके बाद विभिन्न जिलों में विशाल रैलियां आयोजित की गईं:
27 अक्टूबर: मोतिहारी (25,000+ लोग)
10 नवंबर: मुजफ्फरपुर (45,000+ लोग)
17 नवंबर: जयनगर
24 नवंबर: दरभंगा
8 दिसंबर: बेगूसराय
15 दिसंबर: सहरसा
12 जनवरी: भागलपुर
19 जनवरी: जमुई
31 जनवरी: मुंगेर
2 मार्च: राजगीर
अब तक हमने 10 रैलियां और 10 हेलीकॉप्टर सभाएं की हैं। प्रत्येक सभा में हजारों लोग जुटे और संकल्प लिया कि जब तक हमारा अधिकार बहाल नहीं होगा, यह संघर्ष जारी रहेगा। इस आंदोलन में युवा, बुजुर्ग, और समाज के हर वर्ग की भागीदारी हमें यह विश्वास दिलाती है कि हमारी लड़ाई निर्णायक मोड़ पर है।
पान समाज की प्रमुख समस्याएं
1. रोजगार का संकट: पहले यह समाज बुनकरी का कार्य करता था, लेकिन अब उसे अन्य व्यवसायों में जाना पड़ा।
2. शोषण और उपेक्षा: जो समाज सैकड़ों मंजिला इमारतें बनाता है, वह अपने अधिकारों के लिए आवाज़ भी नहीं उठा पा रहा है।
3. राजनीतिक बहिष्कार: किसी भी दल ने इस समाज को उचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं दिया।
सरकार से सवाल
2015 से 2024 के बीच जन्मा बच्चा पहले अनुसूचित जाति में था, अब अति पिछड़ा वर्ग में आ गया, उसका क्या दोष?
हमने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा, लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं मिला।
आगामी कदम
अब, पान समाज 2025 के विधानसभा चुनावों में अपनी ताकत दिखाने को तैयार है। 13 अप्रैल को पटना के गांधी मैदान में 13 लाख लोग जुटकर अपनी एकजुटता का परिचय देंगे। यह सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि हमारे अधिकारों की निर्णायक लड़ाई होगी।
संकल्प और संदेश
अब हम राजनीतिक उपेक्षा को सहन नहीं करेंगे। जिन्होंने हमारे बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया है, वे इस चुनाव में जवाब देने के लिए तैयार रहें। यह कोई चेतावनी नहीं, बल्कि हमारे दबाए गए अधिकारों की आवाज़ है।
हांको रथ हम पान हैं – एक पान आंदोलन से अब पूरा प्रदेश जुड़ चुका है।
ई० आईपी गुप्ता (राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय पान महासंघ)
[1:06 PM, 6/6/2025] Mukesh Bhiya 2: जो 78 साल में नहीं हुआ, वो हो गया। पान युग का आगमन हो गया।
* हम शान से कहने लगे, हम वही तांती, ततवा पान हैं जो अपने करनी से तुम्हारा घर बनाते हैं। हम वही तांती, ततवा पान है जो सबसे पहले कपड़ा बीनकर तुम्हें तन ढकने के लिए सिखाया।
* हम अब तांती को हटाकर तत्तवा बोलने में ज्यादा गर्व करते हैं।
* जाति सर्वे में हमें कम दिखाया गया और हमने पान आन्दोलन के माध्यम से दिखा दिया कि मोतिहारी (250000 लगभग), जयनगर, मधुबनी (150000 लगभग), दरभंगा (250000 लगभग), मुजफ्फरपुर (400००० लगभग), बेगूसराय (400000 लगभग), सहरसा (70000 लोग), भागलपुर (50000 लोग), जमुई (50000 लोग), मुंगेर (15000), बिहार शरीफ (10000 लोग) एक जाति के भीड़ के साथ सभी नेताओं को पीछे छोड़े दिए।
* हम भोले-भाले लोग थे। हमारे लोगों और सभी राजनीतिक पार्टियां ने हमें मुर्ख, गुलाम और भिखारी बनाकर रखा था।
* 75 वर्षों से प्राप्त आरक्षण को साजिश के तहत छीनकर हमारे घर से डी.एम., एस.पी. दरोगा, एस.डी.ओ. डॉक्टर और इंजिनियर बनने के अवसर छीना। हमें ढोल बजाने, मरे जानवर को गाँव से बाहर फेंकने, पालकी ढोने और राज मिस्त्री बनने के लिए मजबुर किया।
* हमारे बच्चों को अपने गाँव से परदेशों में अपने माँ-बाप, अपनी पत्नी और अपने बच्चों को छोड़कर काम तलासने के लिए मजबुर किया।
* सहरसा, दरभंगा, मोतिहारी, बेतिया, बेगूसराय एवं अन्य जिलों में हम छुआछुत के शिकार हैं। हमारे खुद के पंडित होते हैं। ब्रहमण हमारे घरों में पूजा नहीं कराते, हमारे घर में ढोल बजाने वाले भी खाना नहीं खाते और दूसरे जातियों के लिए अलग से खाना बनाने वाले को रखना पड़ता है।
* हमने अपना हीरो नहीं बनाया। हमें अपने वोट अपने तालियों, अपने भीड़, अपने नारों से दूसरों को मुखिया, पंचायत समिति और जिला परिषद का सदस्य बनाया। हम दूसरों को एम०एल०ए०, एम०पी० मेयर, चेयरमैन बनाया। हम क्या बनें ?
* हम सिर्फ दरी बिछाने वाले, बोझा ढोने वाले, पिछलग्गु और वोट देने वाले बनकर रह गये। लेकिन अब नहीं, अब हम, वोट हमारा, नेता हमारा नारे के साथ 13 अप्रैल 2025 से गाँधी मैदान में जुटेंगे।
* हम दूसरे पार्टियों के पिछे छोड़ अब गाँधी मैदान में खुद पार्टी बनाने का एलान करेंगे।
हमारी ताकतः-
* हम बिहार में 80 लाख हैं। मतलब 60 लाख वोट यानि 100 एम.
* एल.ए. बनाने में हमारी स्पष्ट भूमिका। ये हमारे बिना सीएम नहीं बन सकते और पुरे भारत में हम 5 करोड़ हैं।
* 60 लाख वोट मतलब 20 एम.पी. बनाने में हमारी मजबूत भूमिका। मतलब ये हमारे बिना पी.एम. नहीं बन सकते।
* 150 विधान सभा की सीट जहाँ हम 5 हजार से 74 हजार तक हैं। मतलब हम अकेले 150 विधान सभा में सीधे हरा देने की क्षमता रखते हैं।
* हम अपने करनी लेकर दिल्ली, कोलकता, चेन्नई जैसे शहरों में 30 तल्ले बिल्डिंग के मचान पर लटके रहते हैं, मतलब हम जानहत्ता है।
* हम पेट काटकर अपने गहने और जमीन बेचकर अपने बच्चों को पटना और दिल्ली में पढ़ाकर आई.एस./आई.पी.एस. बनाना चाहते हैं। मतलब हमारे सपने बड़े हैं।
* हम जे०पी० और बिहार के सभी आन्दोलन को पिछे छोड़ चुके हैं।